Friday, 26 April 2013

पेहोवा के इतिहास के अनुसार यहाँ पर जाटों का शासन रहा है ।पेहोवा शिलालेख में एक तोमर राजा जौला और उसके बाद के परिवार का उल्लेख है। महिपाल तोमर का भी पेहोवा पर शासन रहा है थानेसर जो की हिन्दू के लिए उतना ही पवित्र था जितना मुस्लिमो के लिए मक्का , थानेसर अपनी दोलत के लिए और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध था । दिल्ली के राजा अनाग्पल और ग़ज़नी के राजा महमूद के बीच यह संधि थी की दोनों ही एक दुसरे के क्षेत्र में हमला नही करेगे लेकिन जैसा की गजनवी धोखे बाज़ था । उस ने धन ले लालच में हमले की योजना बनाई । और पंजाब तक आ गया । दिल्ली के तोमर (तंवर ) राजा अनगपाल तोमर तक उस के नापाक योजना की सुचना पहुच गयी थी अनगपाल तोमर ने अपने भाई को 2000 घोड़े सवारो के साथ महमूद से बात करने पंजाब भेजा दोनों बीच में बातचीत हुई और वो वापस दिल्ली अपने भाई के पास चल दिया उसको रास्ते में सुचना मिली की महमूद हमला करने वाला है इस बात की सूचना उस ने अपने बड़े भाई अनगपाल तोमर को दे दी । जो उस समय दिल्ली में थे । उन्होंने कई हिन्दुओ राजो को साथ लिया और थानेसर की तरफ चल दिए उनके पहुचने से पहले ही महमूद ने थानेसर के मंदिरों को लुटा । थानेसर से उस को बहुत धन दोलत प्राप्त हुई । फिर उसने दिल्ली पर हमले के सोची पर उसके सेनापति ने महमूद गजनवी से कहा की दिल्ली के तोमरो को जितना असम्भव है । क्यों की तोमर इस समय बहुत शक्तिशाली है ध्यान देने वाली बात है गजनवी ने भारत पर 17 बार हमले किये पर दिल्ली पर कभी हमला करने की उसकी हिम्मत नही हुई | 1025 के सोमनाथ के हमले के बाद उस को खोखर जाटों ने रास्ते में ही लुट लिया । उसको सबक सिखा दिया । और वो वापस मुल्तान लोट गया । अनंगपाल तोमर इस क्षेत्र में पहुचे हूँ बहुत दुःखी हुए और वो पालकी की जगहे सीढ़ी पर बैठ पर गये । इस कारण से ही तो तोमर जाटों को इस क्षेत्र में सिरा तोमर ,या शिरा तंवर कहते है (शिरा (सिरे)=सीढ़ी वाले ) कहा जाता है ।सिरा तंवर अनंग पाल तोमर के वन्सज है जिनके आज 12 से ज्यादा गाँव गुहला और पेहोवा के पास है कुछ गाँव पंजाब में है ।
कैथल जिले में गाँव

हरिगढ़ किंगन,चीका,नंदगढ़,कुशाल माजरा ,कल्लर माजरा,सदरहेडी,मेगड़ा,दूसेरपुर,नेवल,
अम्बाला जिले में गाँव

धनोरा(धनोड़ा ),

फतेगढ़ साहिब जिले में गांव
बधोछी कलां,

लुधियाना जिले में गांव

मुल्लनपुर,शिरा




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